वास्तु शास्त्र
वास्तु शास्त्र
पूर्व दिशा: -
पश्चिम दिशा: -
उत्तर दिशा: -
दक्षिण दिशा:
चार उपदिशा: - ईशान, अग्नि, नैऋत्य और वायव्य
इशान दिशा: -
अग्नि दिशा: -
नैत्रत्य दिशा: -
वायव्य दिशा: -
वास्तुशास्त्र में पंचमहाभूतों का महत्त्व:
किसी भी सजीव पर पंचमहाभूतों का असर निच्छित होता हैं। मनुष्य के सत्व रज और तम इन स्वभावो की वजह से ही पंचमहाभूतों का प्रभाव रहता हैं।
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- वास्तु संबंधीउपयुक्त मुहूर्त
- वास्तुशास्त्र और रेकीका संबंध
- कौनसे महीने में बांधकाम शुरू करे
- शनि और वास्तु का संबंध
- व्यापारियों की बैठक किस दिशा में होनी चाहिए
- वास्तुशास्त्र के कुछ महत्वपूर्ण नियम
वास्तु सम्बन्धी उपयुक्त मुहूर्त: -
भूमिपूजन मुहूर्त: -
गृहप्रवेश का मुहूर्त: -
वास्तुशांति का मुहूर्त: -
वास्तुशास्त्र और रेकीका संबंध: -
कौनसे महीने में बांधकाम शुरू करे: -
१) चैत्र महिना – इस महिने में काम शुरू करने से अनेक प्रकार की बीमारियाँ आती है।
* २) वैशाख महिना – इस महिने में काम शुरू करे तो घर में धन-धान्य, पशु-पक्षी में वृद्धि होती है।
३) जेष्ठ महिना – इस महिने में काम शुरू करने से घर की समृद्धि जाती है और मृत्यु भी हो सकती है।
* ४) आषाढ़ महिना – इस महिने में बांधकाम चालू करने से संपत्ति, नौकर-चाकर, पशु-पक्षी में बढ़ती होती है।
* ५) श्रावण महिना – इस महिने में काम शुरू करने से धन-धान्य, संपत्ति और शान्ति मिलती है।
६) भाद्रपद महिना – इस महिने में काम शुरू करने से लगातार नुकसान होता है।
७) अश्विन महिना – इस महिने में काम शुरू करने से पत्नी सुख ना के बराबर हो जाता है।
* ८) कार्तिक महिना – इस महिने में काम शुरू करने से घर में शान्ति, आरोग्य और धन-धान्य अच्छा रहता है।
* ९) मार्गशीर्ष महिना – इस महिने में काम शुरू करने से घर में कभी भी खाने-पिने की कमी नहीं रहती।
१०) पोष महिना – इस महिने में काम शुरू करने से घर में चोरी-चकारी ज्यादा होती है।
११) माह महिना – इस महिने में घर बांधने की शुरुआत करने से घर में सुख-समृद्धि आती है या फिर घर में आग लगती है।
* १२) फाल्गुन महिना – इस महिने में काम शुरू करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और उन्नति होती है।
शनि और वास्तु का संबंध: -
५) पांचवे स्थान में शनी होने पर बाँधने की शुरुआत की तो बच्चो को तकलीफ होती है। परन्तु लड़के से घर बनाने में कोई बाधा नहीं होती। फिर भी अगर घर बनाना है तो आयु के ४८ वर्ष के बाद ही घर बाँधने का कार्य शुरू करे। घर की नींव खोदने से पहले शनी के वाहन की पूजा करे।
९) अगर शनी नवें स्थान में हो तो माता या पत्नी गर्भवती होने पर ही निर्माण कार्य शुरू करें। खुद का और पिता का धन मिलाकर घर की रचना करें।
११) ग्यारहवें स्थान में शनी हो तो वास्तु सुख देर से आता है ५५ की उम्र के बाद वास्तु का योग आता है। ध्यान रखें की घर का दरवाज़ा दक्षिण दिशा में न हो अन्यथा घर में बिमारी आती है।
व्यापारियों की बैठक किस दिशा में होनी चाहिए: -
अपने दुकान या कार्यालय में किस दिशा में बैठना चाहिए इस बारे में वास्तुशास्त्र के कुछ निश्चित नियम है। व्यापारिओं का आसन उत्तर या पूर्व दिशा में मुंह बाकी दिशाओं की और हो तो संबंधित व्यापारी को व्यापर करने में बहुतसी अड़चने आती है उसका पूरी तरह से ठप्प हो जाता है अगर किसी व्यापारी की कुंडली में उसके जन्म के समय राहु या शुक्र बलवान हो तो ऐसे व्यापारी को आसन दक्षिण दिशा में बनाना चाहिए। दक्षिणाभिमुखी आसन भी ऐसे व्यापारियों को शुभ फल देता है।
वास्तुशास्त्र के कुछ महत्वपूर्ण नियम: -

संपर्क विवरण
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